By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 16 Jun 2017 02:30 PM (IST)
मुंबई: 1993 बम धमाकों के केस में मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम समेत सात आरोपियों के खिलाफ अपना फैसला सुनाना शुरु कर दिया है. 2005 में शुरू हुए इस ट्रायल में करीब 12 साल बाद फैसला आएगा. 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए 13 सीरियल बम धमाकों ने देश को हिलाकर रख दिया था.
धमाकों के 27 साल बाद 7 आरोपियों की सजा पर मुंबई की विशेष अदालत फैसला सुना रही है. जिन आरोपियों पर फैसला आने वाला है उनमें-
साल 2007 में मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने 100 अभियुक्तों को सजा हुई थी, जिसमें याकूब मेमन को फांसी की सजा मिली थी. लेकिन अबू सलेम, मुस्तफ़ा दोसा के खिलाफ अलग से मुकदमा चल रहा था.
सीबीआई केस के मुताबिक़ इन सभी आरोपियों ने बम धमाकों की योजना बनाने में, हत्यार लाने, बम बनाने से लेकर धमाकों को अंजाम देने तक मे शामिल थे. अबू सलेम को 2006 में पुर्तगाल से भारत लाकर गिरफतार किया गया था, जबकि दाऊद इब्राहिम, टाइगर मेमन अब भी फ़रार हैं.
विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कहा, ‘’जब पुराना ट्रायल खत्म होने लगा था उसी दौरान अबू सलेम, मुस्तफा दोसा इनको विदेश से लाया गया. अगर उनका ट्रायल उसी ट्रायल में चलाते थे तो 20-25 साल और लग जाते, इसलिए हमने फैसला किया था कि जिन अभियुक्तों को बाद में लाया गया था, उनका अलग से ट्रायल चलाया जाए.’’

मुस्तफा दोसा 2004 में गिरफ्तार हुआ था. अबू सलेम का 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पण हुआ था. इसके अलावा बाकी के पांच आरोपी भी दुबई से भारत लाए गए थे.
12 मार्च 1993 को मुंबई बम धमाके में 257 लोगों की मौत हुई थी और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. सीबीआई की चार्जशीट पर टाडा कोर्ट में मामला चलाया गया था. सरकारी अभियोजन पक्ष के मुताबिक दोष साबित होने पर सजा-ए-मौत तक मिल सकती है.

सरकारी वकील डी एन साल्वी का कहना है, ‘’अगर दोषी करार दिए गए तो सजा मिलेगी. अबू सलेम को प्रत्यर्पण संधि के तहत लाया गया था, इसलिए उसकी सजा में संधि का ख्याल रखा जाएगा और बाकी लोगों को सजा-ए-मौत तक हो सकती है.’’
93 मुंबई बम धमाकों का मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम 1995 से फरार घोषित है और पाकिस्तान की सरपरस्ती में छिपा बैठा है. आने वाले फ़ैसले का असर फरार आरोपियों के प्रत्यार्पण में भी मदद साबित होगा.
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